July 10, 2025
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शैक्षणिक दस्तावेज़ों में नाम परिवर्तन
मार्कशीट, डिग्री या किसी भी शैक्षणिक संस्था द्वारा जारी अन्य प्रमाण-पत्र ये सिर्फ कागज़ के टुकड़े नहीं, बल्कि आपके जीवन की उपलब्धियों का आधार स्तंभ होते हैं। ऐसे दस्तावेज़ों में यदि नाम गलत हो या नाम परिवर्तन की आवश्यकता हो , तो उन्हें अद्यतन करना बेहद ज़रूरी होता है।
यदि आप अपने शैक्षणिक दस्तावेज़ों में नाम बदलवाना चाहते हैं, तो यह एक कानूनी प्रक्रिया के तहत ही किया जा सकता है, जिसमें राजपत्र (Gazette) में नाम का प्रकाशन अनिवार्य होता है। यह गजट ही वह अंतिम और मान्य प्रमाण होता है, जो यह दर्शाता है कि आपका नया नाम सरकार द्वारा विधिवत रूप से स्वीकार किया जा चुका है।
अक्सर सामान्य नागरिकों को यह प्रक्रिया पहली बार में लंबी, कठिन और उलझन भरी लगती है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि हर किसी को कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं होती। लेकिन जब सही और स्पष्ट मार्गदर्शन मिलता है, तो यही प्रक्रिया आसान, सीधी और पूरी तरह व्यावहारिक महसूस होने लगती है।
यदि आप चाहते हैं कि आपका नया नाम शैक्षणिक दस्तावेज़ों में बिना किसी आपत्ति के स्वीकार हो
तो आपको निम्नलिखित तीन चरणों को पूरा करना अनिवार्य है:
चरण 1: एफिडेविट (हलफ़नामा) बनवाना
नाम परिवर्तन की प्रक्रिया की शुरुआत एक एफिडेविट (शपथ पत्र) से होती है, जिसे स्टांप पेपर पर बनवाया जाता है। इस एफिडेविट में आपको स्पष्ट रूप से यह बताना होता है कि:
आप स्वेच्छा से अपना नाम बदल रहे हैं
आपका पुराना नाम और नया नाम क्या है
नाम परिवर्तन का कारण क्या है
एक बार यह एफिडेविट तैयार हो जाए, तो उसे नोटरी पब्लिक से सत्यापित कराना होता है। लेकिन कुछ मामलों में साधारण नोटरी सत्यापन पर्याप्त नहीं होता:
कब ज़रूरी है प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से सत्यापन?
अगर आप ऐसा उपनाम रख रहे हैं जो आपके माता-पिता द्वारा कभी उपयोग नहीं किया गया है,
या नाम परिवर्तन का कारण गोद लेना, लिंग परिवर्तन तो ऐसे मामलों में यह एफिडेविट प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से सत्यापित कराना अनिवार्य हो जाता है।
यह प्रक्रिया सुनने में थोड़ी जटिल लग सकती है जैसे एफिडेविट कैसे बनवाएं? कहाँ जाएं? किससे सत्यापित करवाएं?
लेकिन यदि आप सही मार्गदर्शन में आगे बढ़ते हैं, तो यही पहला चरण आपकी पूरी कानूनी प्रक्रिया की नींव बन जाता है।
चरण 2: समाचार पत्र में विज्ञापन देना
नाम परिवर्तन की प्रक्रिया का दूसरा आवश्यक चरण है समाचार पत्र में विज्ञापन (लोक सूचना) प्रकाशित करना।
यह एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य है कि आपकी नाम परिवर्तन की जानकारी सार्वजनिक रूप से रिकॉर्ड में दर्ज हो।
इस विज्ञापन को आपको राष्ट्रीय स्तर के हिंदी या अंग्रेज़ी समाचार पत्र में प्रकाशित कराना होता है ।
विज्ञापन प्रकाशित करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
राष्ट्रीय अख़बार ही चुनें
विज्ञापन केवल राष्ट्रीय स्तर के हिंदी या अंग्रेज़ी समाचार पत्र में ही मान्य होता है।
स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा के समाचार पत्र मान्य नहीं माने जाते।
मूल अख़बार की प्रति जमा करें
जब आप अगला आवेदन करेंगे (राजपत्र या अन्य दस्तावेज़ों के लिए), तो विज्ञापन की कटिंग या फोटोकॉपी स्वीकार नहीं की जाती।
पूरा अख़बार (मूल प्रति) ही जमा करना अनिवार्य होता है।
यदि इन निर्देशों का सही तरीके से पालन न किया जाए, तो आपकी पूरी प्रक्रिया रोक दी जा सकती है या आवेदन अस्वीकृत हो सकता है। इसलिए सलाह यही दी जाती है कि आप इस चरण को किसी अनुभवी व्यक्ति या संस्था के मार्गदर्शन में पूरा करें ताकि आपकी नाम परिवर्तन प्रक्रिया सुचारू और बिना बाधा के पूरी हो सके।
चरण 3: राजपत्र अधिसूचना करवाना
नाम परिवर्तन की प्रक्रिया का यह तीसरा और अंतिम चरण होता है, और यही कानूनी रूप से सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें आपको अपना नया नाम भारत सरकार (केंद्र) या राज्य सरकार के राजपत्र (Gazette) में प्रकाशित करवाना होता है।
अक्सर यह भ्रम होता है कि केवल राज्य सरकार के गजट में नाम प्रकाशित करवा देना पर्याप्त है, लेकिन वास्तविकता यह है कि दोनों राज्य एवं केंद्र सरकार के राजपत्र कानूनी रूप से मान्य होते हैं। फिर भी कुछ विशेष स्थितियों में, केंद्र सरकार के राजपत्र में नाम प्रकाशित करवाना अधिक उचित और व्यावहारिक माना जाता है।
उदाहरण : आपने अलग-अलग राज्यों में पढ़ाई की है और आपके शैक्षणिक दस्तावेज़ दो या अधिक राज्यों से जारी हुए हैं,
तो केवल किसी एक राज्य के गजट से काम नहीं चलेगा। उस स्थिति में या तो आपको हर उस राज्य के गजट में नाम प्रकाशित करवाना होगा, जहाँ से आपके दस्तावेज़ जारी हुए हैं या फिर सीधे भारत सरकार के केंद्रीय राजपत्र (Central Gazette) में नाम प्रकाशित करवा देना सबसे बेहतर विकल्प होता है।
केंद्रीय गजट में प्रकाशित नाम पूरे भारत में सभी राज्यों और संस्थानों द्वारा स्वीकृत और मान्य होता है, चाहे आपके शैक्षणिक दस्तावेज़ किसी भी राज्य से संबंधित क्यों न हों। इसलिए, यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में किसी भी राज्य, विश्वविद्यालय, सरकारी एजेंसी या अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा आपके नाम परिवर्तन को लेकर कोई अड़चन न हो तो भारत सरकार के गजट में नाम प्रकाशित कराना सबसे सुरक्षित और सर्वमान्य तरीका है।
गजट प्रकाशन के बाद शैक्षणिक दस्तावेज़ों में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया
जब आपका नाम राजपत्र (Gazette) में प्रकाशित हो जाता है, तो यह आपके नए नाम का वैध और कानूनी प्रमाण बन जाता है। इसके आधार पर आप अपने शिक्षा बोर्ड, कॉलेज या विश्वविद्यालय में आवेदन करके अपने शैक्षणिक दस्तावेज़ों (जैसे मार्कशीट या डिग्री) में नाम परिवर्तन करवा सकते हैं।
इस प्रक्रिया के लिए आपको संस्थान में निम्न दस्तावेज़ जमा करने होते हैं:
राजपत्र की प्रति
नया पहचान पत्र (ID proof)
पुरानी मार्कशीट या डिग्री
संस्थान द्वारा निर्धारित नाम परिवर्तन प्रपत्र
लेकिन ध्यान दें:
कुछ विश्वविद्यालय और शिक्षा बोर्ड केवल गजट अधिसूचना को पर्याप्त नहीं मानते। वे इसके अतिरिक्त सिविल न्यायालय से प्राप्त "डिक्लेरेशन डिक्री" की भी मांग करते हैं खासकर जब दस्तावेज़ पहले ही जारी हो चुके हों या केस जटिल हो।
ऐसी स्थिति में, आपको सिविल कोर्ट में Declaration Suit दाखिल करना पड़ता है। इसके लिए आपको विधिक सहायता की आवश्यकता होती है।
LSO Legal - आपकी पूर्ण कानूनी सहायता
LSO Legal के वरिष्ठ और अनुभवी पैनल अधिवक्ता आपके लिए सिविल वाद तैयार करते हैं, पूरी याचिका सिविल न्यायालय में विधिवत पेश करते हैं, और सुनवाई के दौरान आपका प्रतिनिधित्व करते हैं। यह वाद विशेष रूप से इसलिए दायर किया जाता है, ताकि न्यायालय आपके नाम परिवर्तन को विधिक मान्यता प्रदान करे और संबंधित शैक्षणिक संस्थान को आपके दस्तावेज़ों में नया नाम दर्ज करने का निर्देश दे।
इस याचिका के साथ कुछ अनिवार्य दस्तावेज़ संलग्न किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं: शपथ पत्र , समाचार पत्र में प्रकाशित नाम परिवर्तन विज्ञापन की मूल प्रति, गजट अधिसूचना की प्रति, नया और पुराना पहचान पत्र (जैसे आधार या पैन कार्ड), तथा वे शैक्षणिक प्रमाण-पत्र जिनमें नाम बदलना है। इन दस्तावेज़ों के आधार पर कोर्ट सुनवाई करता है और नाम परिवर्तन को विधिक रूप से मान्यता देता है।
सुनवाई और कोर्ट का आदेश:
यदि कोर्ट को याचिका में कोई आपत्ति नहीं लगती, तो वह एक डिक्लेरेशन डिक्री पारित करता है, जो आपके नाम को आधिकारिक रूप से मान्यता देता है।
अंतिम चरण: कोर्ट आदेश के साथ संस्थान में आवेदन
कोर्ट आदेश की प्रमाणित प्रति (Certified Copy) लेकर आप:
शैक्षणिक संस्थान में एक आवेदन पत्र देते हैं
गजट की प्रति और ID प्रूफ संलग्न करते हैं
नाम परिवर्तन शुल्क (यदि कोई हो) जमा करते हैं
इसके बाद बोर्ड/विश्वविद्यालय आपके दस्तावेज़ों में नाम को संशोधित कर देता है और आवश्यक होने पर संशोधित प्रमाण पत्र (Revised Certificate) जारी किया जाता है।
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नाम परिवर्तन की प्रक्रिया भले ही थोड़ी विस्तृत और कानूनी रूप से गंभीर हो, लेकिन सही मार्गदर्शन और सही कदमों के साथ यह पूरी तरह सरल भी हो सकती है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि एफिडेविट कैसे बनाएं, कौन-कौन से दस्तावेज़ लगते हैं, विज्ञापन कहां और कैसे देना है, तथा गजट में नाम कैसे प्रकाशित कराया जाता है , तो आप LSO Legal की अनुभवी टीम से जुड़ सकते हैं।
एफिडेविट की ड्राफ्टिंग से लेकर गजट पब्लिकेशन तक की पूरी प्रक्रिया हम शुरू से अंत तक आपके लिए पूरी करवाते हैं।
हमारे पैनल में 22 वर्षों से अधिक अनुभवी, पंजीकृत वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं, जो नाम परिवर्तन की संपूर्ण प्रक्रिया में हर चरण पर आपको सटीक कानूनी सलाह देंगे और सभी आवश्यक दस्तावेज़ों की तैयारी में पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे। नाम परिवर्तन कराने के लिए lsolegal.com पर अभी आवेदन करें।
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