November 20, 2025

    Sc st को गाली देने पर कौन सी धारा लगती है?

    SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम में सरकार पीड़ित को अपराध की गंभीरता के अनुसार लगभग ₹85,000 से ₹8,25,000 तक राहत राशि देती है, जो 25% FIR पर, 50% चार्जशीट पर और 25% अंतिम निर्णय पर तीन किस्तों में जारी की जाती है।

    एससी/एसटी एक्ट (हरिजन एक्ट) , जिसे आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 कहा जाता है। भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए इस कानूनों को बनाया गया था। SC ST Act का उद्देश्य सिर्फ सज़ा देना नहीं, बल्कि पीड़ितों को न्याय, मुआवज़ा और पुनर्वास दिलाना भी है। यह कानून 11 सितंबर 1989 को पारित हुआ और 30 जनवरी 1990 से लागू हुआ। हालाँकि, समय के साथ इस कानून के दुरुपयोग (झूठे केस) की भी कई शिकायतें सामने आई हैं।

    भारतीय संविधान में एससी-एसटी एक्ट को लेकर लोगो के मन में बहुत से सवाल होते है कि एससी- एसटी एक्ट क्या है (SC ST Act in Hindi)? यह कानून कब लगता है? क्या हरिजन एक्ट के अपराध मे जमानत मिल सकती है, और इस कानून के तहत सजा, धारा, झूटी शिकायत, मुवावजे का क्या प्रावधान है? इस लेख में हम इन सभी सवालो के जवाबो के साथ में इस एक्ट से जुडी सभी जानकारी सरल भाषा में देंगे।

    जब से हमारा देश आजाद हुआ है तब से हमारे देश मे जातिवाद (Casteism) और अधिक बढ़ गया है। क्योकि हमारे समाज में किसी भी तरह का विवाद होता है तो जातिवाद को ही सबसे पहला मुद्दा बना कर उस पर राजनीति (Politics) की जाती है, जिसके कारण समाज में भेद-भाव (Discrimination) बढ़ने लगा जिसको देखते हुए SC ST Act का निर्माण किया गया। चलिए आगे विस्तार से इस एक्ट के बारे में जानते है। 

    एससी/एसटी कानून क्या है - SC ST Act in Hindi

    इस कानून के तहत सामाजिक (Social) और आर्थिक (Financial) रूप से अनुसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए SC-ST कानून का निर्माण किया गया था। 1950 में जब संविधान लागू हुआ तो उसके बाद भी कुछ वर्ग के लोग अपने अधिकारों से वंछित रह गए थे। और लगातार सामाजिक भेदभाव व अत्याचार का शिकार होते रहे। एससी/एसटी एक्ट को हरिजन एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।

    जब ऐसे वंचित वर्गों के लोग अपने अधिकारों की मांग करते और अपने साथ हो रहे किसी गलत बात का विरोध करते तो प्रभावशाली वर्ग के लोग उन्हे डराने व अपमान करने की कोशिश करते थे एंव प्रभावशाली समाज द्वारा इन्हे प्रताडित किया जाता था इसलिए 30 जनवरी 1990 को जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में SC-ST Act को लागू कर दिया गया।

    इसके बाद अप्रैल 2016 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इस कानून को और सख्त करने के लिए कुछ संशोधन किए गए, इन संसोधनो के साथ 14 अप्रैल 2016 को इस कानून को फिर से लागू कर दिया गया |

    एससी एसटी एक्ट का उद्देश्य क्या है?

    इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य इन ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें जाति-आधारित भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा से बचाना है।

    इस के तहत अपराधों के त्वरित परीक्षण के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का प्रावधान करता है, और यह अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के लिए विभिन्न अपराधों और दंडों को भी निर्दिष्ट करता है।

    अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति किसे माना जाता है?

    अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) भारत में ऐतिहासिक रूप से वंचित (Deprived) और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के समूह हैं जिन्हें भारत सरकार द्वारा उनके सामाजिक-आर्थिक विकास और भेदभाव (Discrimination) से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नामित किया गया है।

    Scheduled Caste को दलित (Dalit or Harijan) के रूप में भी जाना जाता है, एक शब्द जिसका अर्थ है "उत्पीड़ित" या "टूटा हुआ"। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें परंपरागत रूप से हिंदू जाति व्यवस्था में "अछूत" माना जाता है और सदियों से भेदभाव और बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। भारतीय संविधान 1,108 एससी को मान्यता देता है, और वे भारत की आबादी का लगभग 16.6% हैं।

    Scheduled Tribes भारत में स्वदेशी समुदाय हैं जिनकी विशिष्ट सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक पहचान है। उन्हें ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रखा गया है और अक्सर गैर-आदिवासी समुदायों द्वारा उनका शोषण और विस्थापन किया जाता है। भारतीय संविधान 705 एसटी को मान्यता देता है, और वे भारत की आबादी का लगभग 8.6% हैं।

    एससी-एसटी (हरिजन) एक्ट कब लगता है

    एससी/एसटी एक्ट या हरिजन एक्ट, उस व्यक्ति पर लागू होता है जो अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के व्यक्ति के साथ जाति के आधार पर भेदभाव, अपमान, हिंसा या अत्याचार करता है। यह कानून अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत बनाया गया है, ताकि समाज के इन वर्गों को सुरक्षा और न्याय मिल सके। आइए इस एक्ट के कुछ और मुख्य अपराधों के बारे में जानते है।

    SC ST ACT के तहत अपराध लिस्ट

    इस अधिनियम निम्नलिखित अपराधों और दंडों का प्रावधान करता है:-

    • अत्याचार के अपराध (Offenses of Atrocities):- इनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ बलात्कार, हमला, अपहरण और हत्या जैसे अपराध शामिल हैं। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
    • उपेक्षा के अपराध (Offence of neglect):- इनमें लोक सेवक द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा, कार्यस्थल और निवास के स्थानों के निरीक्षण में जानबूझकर चूक करना और अपराध दर्ज करने से इनकार करना शामिल है। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से एक साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
    • झूठे आरोपों के अपराध (crime of false accusation):- इनमें एससी/एसटी के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करना शामिल है। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से एक साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।

    ST SC Act कब लगता है?

    • SC-ST वर्ग के किसी सदस्य को  कुछ ऐसी वस्तु खिलाना के लिए मजबूर करना जो खाने पीने योग्य ना हो।
    • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग की किसी महिला का अनादर करने या उसकी लज्जा को भंग करने के आशय से हमला या बल प्रयोग करना।
    • इस वर्ग के किसी सदस्य को अपना मकान, गांव या अन्य निवास स्थान छोड़ने के लिए मजबूर करना।
    • एसटी एससी वर्ग के किसी व्यक्ति का सामाजिक रुप से बहिष्कार कर देने पर।
    • किसी हरिजन व्यक्ति को नौकरी या काम ना देने पर।
    • सार्वजनिक जगहों जैसे मंदिर, हस्पताल, स्कूल आदि में जाने से रोकने की कोशिश करने पर।
    • वोट देने के अधिकार से रोकना या जबरदस्ती बल का प्रयोग कर अपने किसी खास व्यक्ति को वोट देने के लिए मजबूर करना।
    • किसी व्यक्ति के जबरदस्ती कपड़े उतरवाकर उसे नीचा दिखाने के लिए नंगा करने पर या समाज में उसका मजाक उड़ाने के लिए किसी व्यक्ति के चेहरे पर काले रंग से कालिख पोत देने पर।
    • लोगों के सामने कोई भी कारण बनाकर अपमानित करना।

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    एससी एसटी एक्ट की धारा क्या है - SC ST Act Sections in Hindi

    इस Act को कई वर्गों में बांटा गया है, जिन्हें संक्षेप में नीचे समझाया गया है:

    • धारा 2: यह खंड विभिन्न शब्दों की परिभाषा प्रदान करता है, जिनमें 'अत्याचार', 'अनुसूचित जाति', 'अनुसूचित जनजाति', 'लोक सेवक', 'जानबूझकर उपेक्षा' और 'एसटी/एससी'।
    • धारा 3: यह धारा अधिनियम के तहत किए गए अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करती है। जुर्माने के साथ छह महीने की कैद से लेकर आजीवन कारावास (Life imprisonment) तक की सजा का प्रावधान है।
    • धारा 4: यह धारा अधिनियम के तहत मामलों को संभालने के लिए विशेष लोक अभियोजकों (Public Prosecutors) की नियुक्ति का प्रावधान करती है।
    • धारा 5: इस धारा के तहत मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान करता है।
    • धारा 6: इस धारा के तहत अपराधों का संज्ञान लेने के लिए विशेष न्यायालय की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 7: यह धारा विशेष परिस्थितियों में अग्रिम जमानत देने के लिए विशेष न्यायालय की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 8: यह धारा पीड़ित या उसके परिवार को अंतरिम राहत देने के लिए विशेष न्यायालय की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 9: यह खंड कुछ मामलों में संपत्ति की कुर्की और जब्ती के आदेश पारित करने के लिए विशेष न्यायालय की शक्ति प्रदान करता है।
    • धारा 10: यह धारा पीड़ित या उसके परिवार को मुआवजे (Compensation) का भुगतान करने का आदेश देने के लिए विशेष न्यायालय की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 11: यह धारा पीड़ित (Victim) या उसके परिवार की शिकायत (Complaint) पर संज्ञान लेने के लिए विशेष अदालत की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 12: यह धारा एक अदालत से दूसरी अदालत में मामलों को स्थानांतरित करने के लिए विशेष अदालत की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 13: यह धारा विशेष न्यायालय (Special court) को अपने स्वयं के आदेशों की समीक्षा (Review) करने की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 14: यह धारा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने के लिए राज्य सरकार की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 15: यह धारा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन (Implementation) के लिए राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने के लिए केंद्र सरकार की शक्ति प्रदान करती है।
    • धारा 16: यह धारा अधिनियम के उद्देश्य के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार (State Government) की शक्ति प्रदान करती है।
     एससी एसटी एक्ट में सजा और जमानत का प्रावधान

    SC, ST Act 1989 के तहत विशेष अदालतो की भी व्यवस्था की गई है. अधिनियम की धारा 14 के तहत इस कानून के तहत दर्ज केस होने पर ट्रायल के लिए विशेष अदालत की व्यवस्था की गई है, जो हर राज्य में बनी हुई है। ताकि ऐसे मामलों मे जल्द से जल्द कार्यवाही की जा सकें।         

    अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी भी व्यक्ति के साथ उपर दिए गए अपराधो मे से कोई भी अपराध करता है या SC/ST एक्ट के किसी अन्य अपराध  के तहत दोषी पाया जाता है तो SC/ST एक्ट के तहत छह महीने से लेकर उम्रकैद तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है

    एससी-एसटी एक्ट से बचने के लिए किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के व्यक्ति का कभी भी अपमान ना करे और जाति सूचक जैसे शब्दो का प्रयोग ना करें। ऐसा करने से इस कानून के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

    अगर कोई सरकारी अधिकारी किसी अन्य वर्ग से संबंध रखता है और वो जानबूझकर एससी एसटी समुदाय के लोगों का अपमान करने की नियत से परेशान करता है, तो उसे छह महीने से लेकर एक साल तक की जेल की सजा से दंडित किया जा सकता है।

    SC ST Act में जमानत कैसे और कब मिलती है

    अगर SC-ST एक्ट के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज होता है तो यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध माना जाता है इस केस में पहले अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं था, लेकिन संशोधन के बाद यह फैसला किया गया कि मजिस्ट्रेट द्वारा विचार करने के बाद इस केस में जमानत दी जा सकती है।

    यदि पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की जाती है तो पुलिस को गिरफ्तारी के 60 दिन के अंदर ही चार्ज शीट दाखिल करनी आवश्यक होती है। पुलिस द्वारा चार्ज शीट दाखिल करने के बाद ही कार्यवाही विशेष अदालत के द्वारा की जाती है।

    ST/SC ऐक्ट के तहत मुआवजा का प्रावधान

    इस वर्ग के किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी अपराध होता है तो अनुसूचित जाति के व्यक्ति द्वारा एफ० आई० आर० दर्ज कराने पर मुआवजे के तहत सामान्यता अपराध साबित होने की पर उत्पीडित व्यक्ति को रू. 40000/- से रू. 500000/- तक आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है।

    पूरी जानकारी के लिए यहाँ उपलब्ध LSO Legal का आधिकारिक YouTube वीडियो देखें।
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    एससी/एसटी कानून के दुरूपयोग किस प्रकार किया जाता है

    इसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अत्याचार और भेदभाव को रोकना है।

    लेकिन कुछ, ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां अधिनियम का दुरुपयोग किया गया है। दुरुपयोग के सामान्य रूपों में से एक गैर-एससी/एसटी समुदायों के व्यक्तियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करना है। बदला लेने या व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के इरादे से किया जाता है। ऐसे झूठे मामले निर्दोष लोगों की प्रतिष्ठा और आजीविका को बर्बाद कर सकते हैं।

    भूमि और संपत्ति विवादों को निपटाने के लिए दुरुपयोग का एक अन्य रूप इस अधिनियम का उपयोग है। ऐसे मामलों में, गैर-अनुसूचित जाति/जनजाति समुदायों के व्यक्तियों पर उनकी जमीन या संपत्ति हड़पने के लिए झूठे आरोप लगाए जाते हैं।

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस तरह का दुरुपयोग न केवल निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि अधिनियम के उद्देश्य को भी कमजोर करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस एक्ट को निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से लागू किया जाए और झूठे मामलों से सख्ती से निपटा जाए। साथ ही, Scheduled Castes /Scheduled Tribes समुदायों के बीच इस के बारे में जागरूकता पैदा करना भी महत्वपूर्ण है ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इसका प्रभावी ढंग से और उचित रूप से उपयोग कर सकें।

    एसटी एससी कानून के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

    नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकडो के मुताबिक देश भर में 2013 में कुल 11060 ऐसे केस दर्ज हुए थे, जो एससी-एसटी ऐक्ट के तहत थे. इनमें से जांच के दौरान 935 शिकायतें पूरी तरह से गलत पाई गई  तो इस तरह के बहुत सारे  सुप्रीम कोर्ट के पास ऐसे केस आने लगे थे इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश जारी किए गए जोकि इस प्रकार है।

    • SC, ST ऐक्ट के मामलों की जांच कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
    • किसी पर केस दर्ज होने पर उसे अग्रिम जमानत भी दी जा सकती है। अग्रिम जमानत देने या न देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास ही होगा।
    • यदि कोई भी सरकारी अधिकारी पर एसी एसटी एक्ट का केस दर्ज करवाता है तो केस दर्ज होने के बाद उस अधिकारी की गिरफ्तारी बिना उसके विभाग की इजाजत के नहीं होगी।
    • अगर किसी भी साधारण व्यक्ति पर एससी एसटी एक्ट का केस दर्ज होता है तो उसको अरेस्ट करने के लिए पुलिस को पहले एसपी से अनुमति लेनी होगी।

     

    हरिजन एक्ट को लागू करने की जिम्मेदारियाँ

    एससी/एसटी एक्ट को लागू करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन (Implementation) को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान करता है। इन अधिकारियों में जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, पुलिस उपाधीक्षक और पुलिस निरीक्षक शामिल हैं। इस अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने और अत्याचार की शिकायतों की जांच करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना का भी प्रावधान करता है।

    एससी एसटी एक्ट से बचाव कैसे करें? (झूठे केस से बचाव के उपाय) 

    अगर कोई व्यक्ति झूठे एससी एसटी एक्ट के केस में फंस रहा है, तो उसे निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

    • सबूत इकट्ठा करें – अगर मामला झूठा है, तो गवाहों के बयान, सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड या अन्य सबूत इकट्ठा करें, जिससे साबित हो सके कि आपने कुछ ऐसा नहीं किया है।
    • अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए आवेदन करें – अगर आपको गिरफ्तारी का डर है, तो हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल करें, जिससे आपको पहले से ही SC ST Case में अग्रिम जमानत मिल जायगी। 
    • पुलिस जांच में सहयोग करें – पुलिस जांच के दौरान सही जानकारी और सबूत दें, जिससे आप अपनी बेगुनाही साबित कर सकें।
    • झूठे केस के खिलाफ शिकायत करें – अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या बदला लेने के लिए झूठा केस कर रहा है, तो आप कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं और एफआईआर रद्द करने की मांग कर सकते हैं।
    • उच्च न्यायालय में अपील करें – यदि निचली अदालत में जमानत नहीं मिलती, तो हाईकोर्ट में अपील दायर करें।

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    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


    अनुसूचित जाति/ जनजाति अधिनियम के तहत कौन से अपराध शामिल हैं?

    अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम शारीरिक हमला, यौन हमला, आगजनी और हिंसा के अन्य रूपों सहित कई अपराधों को कवर करता है। इसमें एससी एसटी समुदायों के व्यक्ति को मतदान करने से रोकना, उन्हें सामान्य संपत्ति संसाधनों का उपयोग करने से रोकना और उन्हें मैला ढोने के लिए मजबूर करना जैसे अपराध भी शामिल हैं।

    कोई व्यक्ति एससी एसटी अधिनियम के तहत शिकायत कैसे दर्ज कर सकता है?

    हरिजन एक्ट कानून के अंतर्गत आने वाले अपराध का शिकार व्यक्ति पुलिस में शिकायत दर्ज (FIR) करा सकता है। पुलिस को शिकायत दर्ज कर मामले की जांच करनी चाहिए। पीड़ित जिला मजिस्ट्रेट या अनुमंडल मजिस्ट्रेट के पास भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

    एससी/एसटी एक्ट के तहत क्या सजा है?

    अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अपराधों के लिए दंड में कम से कम छह महीने और पांच साल तक की कैद के साथ-साथ जुर्माना भी शामिल है। बलात्कार और हत्या जैसे अधिक गंभीर अपराधों के लिए, सजा में आजीवन कारावास या मृत्युदंड शामिल हो सकता है।

    एससी एसटी एक्ट धारा 3 क्या है

    धारा 3 के तहत, एससी एसटी एक्ट द्वारा अत्याचार किए जाने पर दंड का प्रावधान होता है। धारा 3 के तहत अत्याचार का परिभाषण विस्तार से दिया गया है और इसमें शारीरिक या मानसिक शोषण, दमन या अन्य अत्याचार के लिए किसी व्यक्ति के साथ होने वाले किसी भी तरह के नुकसान को शामिल किया गया है।

    क्या एससी एसटी एक्ट के तहत समझौता किया जा सकता है?

    नहीं, इस एक्ट के तहत समझौता (Compromise) संभव नहीं है, क्योंकि यह एक गंभीर आपराधिक मामला है।झूठे एससी एसटी केस से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

    झूठे एससी एसटी केस से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

    अगर कोई आपके खिलाफ एससी एसटी केस दर्ज करा रहा है, तो अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन करें और सबूतों के आधार पर एफआईआर रद्द करवाने की याचिका दायर करें।

     

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